Do not give Vehicle to a minor: यूपी सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के इरादे से मोटर व्हीकल एक्ट (एमवी एक्ट) को कड़ाई से लागू करने का फैसला किया है। यूपी के सभी आरटीओ, एआरटीओ, आरएम और एआरएम के साथ इसके लिए पुलिस की भी जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की गई है।
प्रदेश के परिवहन आयुक्त द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यूपी की सीमा के अंदर 18 साल के कम उम्र के किशोर-किशोरी को किसी भी हाल में वाहन चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इसके लिए पुलिस के साथ ही सभी परिवहन अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में यह सुनिश्चित करें कि उनके क्षेत्र में कोई नाबालिग किशोर-किशोरी वाहन न चलाए। यदि कोई ऐसा करता हुआ मिलता है तो जिसके नाम पर गाड़ी होगी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने भी प्रदेश के सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को आदेश जारी कर 18 साल से कम आयु के छात्र-छात्राओं द्वारा दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाने पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। आदेश में बताया गया है कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ने 15 दिसम्बर को लिखे एक पत्र में अवगत कराया है कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा बिना ड्राइविंग लाइसेंस के स्कूटर, बाइक और अन्य वाहन चलाने से अनेक दुर्घटनाएं हो रही हैं।
केजीएमयू और लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 40 प्रतिशत बच्चे होते हैं जिनकी उम्र 12 से 18 वर्ष के बीच की होती है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने कहा है कि सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए इस कानून का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए और सभी शैक्षणिक संस्थाओं में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
क्या कहता है कानून
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 4 में प्रावधान किया गया है कि 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी स्थान में मोटरयान नहीं चलाया जाएगा। लेकिन 16 साल की आयु प्राप्त कर लेने के बाद लाइसेंस लेकर 50 सीसी से कम इंजन क्षमता वाले दो पहिया वाहन को चलाने की अनुमति मिल सकती है। अधिनियम की धारा 5 में प्रावधान किया गया है कि किसी भी गाड़ी का स्वामी किसी ऐसे व्यक्ति से न तो गाड़ी चलवाएगा और न ही इसे चलाने की अनुमति देगा जिसके पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस न हो।
मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के जरिए किशोरों द्वारा किये जाने वाले मोटर वाहन अपराधों के सम्बन्ध में एक नई धारा 199क जोड़ी गई है जिसके तहत प्रावधान किया गया है कि किसी किशोर द्वारा मोटर वाहन अपराध में किशोर के संरक्षण या मोटर वाहन के स्वामी को ही दोषी मानते हुए दंडित किया जाएगा। इसके तहत संरक्षक/ मोटर वाहन स्वामी को 3 साल तक का कारावास और 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके साथ ही अपराध में इस्तेमाल वाहन का रजिस्ट्रेशन एक साल तक के लिए रद्द कर दिया जाएगा और ऐसे किशोर का ड्राइविंग लाइसेंस 25 साल की आयु पूरी करने के बाद ही बन सकेगा।
मुश्किल से मिलेगी जमानत
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नाबालिग से दो पहिया या चार पहिया वाहन चलवाने पर गाड़ी मालिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं। इन प्रावधानों के तहत नाबालिग के गाड़ी चलवाते पकड़े जाने पर गाड़ी मालिक की गिरफ्तारी तो होगी ही उसे जमानत मिलना भी मुश्किल होगा। यानी ऐसी स्थिति में जेल जाने की नौबत आ सकती है।