बिलासपुर। हाईकोर्ट ने हत्या के 20 साल पुराने मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 2005 में हुई एक हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में सात आरोपियों को दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी घायल चश्मदीद गवाह की गवाही विश्वसनीय है और अन्य साक्ष्यों से इसकी पुष्टि होती है, तो मामूली विरोधाभासों के आधार पर इसे खारिज नहीं किया जा सकता।








2005 में हुई थी घटना
यह घटना 17-18 मार्च 2005 की रात छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर कांकेर जिले में हुई थी, जब करीब 25 सशस्त्र नक्सलियों ने रघुनाथ नामक व्यक्ति के घर पर हमला किया। मृतक के बेटे लच्छूराम, जो स्वयं इस हमले में घायल हुआ था, ने घटना के बाद एफआईआर दर्ज कराई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चाकू के वार और आंतरिक रक्तस्राव को मौत का कारण बताया गया। डॉक्टरों ने इसे एक स्पष्ट हत्या करार दिया था।
अभियोजन के अनुसार, इस हमले में सुरजराम, नोहर सिंह, धनिराम, दुर्जन, चैतराम, रमेश्वर और संतोष भी शामिल थे। हमलावरों ने रघुनाथ को रस्सियों से बांधकर डंडों और लात-घूसों से बेरहमी से पीटा, जिससे उनकी मौत हो गई।