300 वर्ष पूर्व महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करने वाली वीरांगना अहिल्या बाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती समारोह पर संगोष्ठी का आयोजन


स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आईक्यूएसी सेल द्वारा पुण्यश्लोक देवी अहिल्या बाई होल्कर के 300वीं जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. टोपलाल वर्मा प्रांत संघ संचालक राष्ट्रीय सेवक संघ छत्तीसगढ़ प्रान्त उपस्थित हुये। अपने आतिथ्य उद्बोधन में डॉ. टोपलाल वर्मा ने वीरांगना अहिल्या बाई होल्कर के राज्य को राम राज्य संज्ञा देते हुये कहा जैसे राम राज्य में लोगों को किसी प्रकार की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक कष्ट नहीं था वैसे ही महाश्लोक अहिल्या बाई के राज्य में कोई प्रजा दुखी नही थी। वे एक कुशल प्रशासक थी उन्होने अपनी सेना को संगठित किया भानपूरा को रक्षा केन्द्र के रूप में विकसित किया। बनारस के मालू जाति के लोगों को अपने राज्य में बसाया जिससे कुटिर उद्योग धंधों का विकास हुआ सैनिक जो वीरगति को प्राप्त हुये थे उनकी आश्रित महिलाओं को वहां काम मिला। वहां की बनायी महेश्वरी साड़ी निर्माण व जीर्णोधार किया उसके साथ ही उन्होंने जगह-जगह धर्मशाला बनायी, अन्न भंडार का निर्माण किया जिससे तीर्थ यात्रियों को कोई परेशानी न हो गांव की समस्या का निराकण करने के लिये ग्राम पंचायत की स्थापना की। एक प्रति उनके पास जाती थी जिसका देश रेख व स्वयं करती थी जिससे कोई गलत निर्णय ना ले। उन्होंने 37 विभाग बना कार्यों का विभाजन किया। श्री वर्मा ने बताया वे अपनी न्याय प्रियता के लिये प्रसिद्ध थी उसने अपनी पुत्र व सेनापति को गलत कार्यों के लिए सजा देने से पीछे नहीं हटी। उसे अपनी प्रशंसा बिल्कुल पसंद नहीं थी। एक बार एक सज्जन ने उनकी प्रशंसा के गीत गाये उसे बुरी तरह से लताड़ा व कहा मेरी जगह अगर ईश्वर की यशोगान करते तो आपको मोक्ष मिल जाता और उसके प्रशस्वी की नर्मदा में फेंक दिया। उसने हर दस कोश में चौकी का निर्माण कराया जहाँ कोई भी शिकायत कर सकता था। अपने कुशल प्रशासन, न्यायप्रियता, धार्मिक व सामाजिक कार्यों के लिये ही उसे महाश्लोक कहा जाता है। महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा अहिल्याबाई होल्कर कुशल प्रशासक ही नही अपितु समाज सुधार के लिए भी कार्य किया उन्होंने उस समय प्रचलित सती प्रथा का अंत किया। विधवा-विवाह को प्रारंभ किया। सेना में शहीद की आश्रितो को रोजगार उपलब्ध कर उसे आत्मनिर्भर बनाया। ऐसे वीरांगना के जीवन से विद्यार्थियों को परिचित कराने के लिए महाविद्यालय के आईक्यूएसी सेल की सराहना की।


विश्व प्रसिद्ध है उसने 500 महिलाओं की सेना बनायी। इंदौर से अपनी राजधानी हटाकर महेश्वर में स्थापित किया

वहां उन्होने 28 घाटों व मंदिरों का निर्माण किया, महिलाओं की शिक्षा के लिये गुरूकुल की स्थापना की मंदिरों का

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा जिसके नाम में ही पुण्यश्लोक जोड़ दिया जाय उसके विशाल व्यक्तित्व की कल्पना की जा सकती है। आज से 300 वर्ष पूर्व महिला शिक्षा व महिलाओं के शस्त्र शिक्षा के लिये समाज से लड़ी, महिलाओं की सेना बनाई व उसे अपनी सेना में शामिल किया। किसान परिवार में जन्म लिये वीरांगना ने मालवा में 30 साल तक शासन किया उन्होंने किसानों के हित में कार्य किया मंदिरों का निर्माण व जीर्णोद्वार करवाया, सड़कों का निर्माण किया, यात्रियों के लिये भोजन व पानी की व्यवस्था कर अपने समाजिक उत्तरदायित्व को निभाया पुण्यश्लोक अहिल्या बाई के राज्य को राम राज्य कहा जाता है।

कार्यक्रम में मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. संयुक्ता पाढ़ी विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने किया कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. शिवानी शर्मा आईक्यूएसी संयोजक ने विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम में विशेष रूप से रश्मि राजपूत, देश दीपक, हेमलता सिंह, सपना शर्मा उपस्थित हुई।


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