रायपुर। राजधानी में पिछले 3 दिन से प्रदेश के बीजेपी के छोटे-बड़े नेताओं ने बंद कमरों में बैठक की है। खासकर केदार कश्यप, ओपी चौधरी और पवन साय के साथ संगठन को लेकर माथुर ने गुप्त चर्चांएं की हैं। इसके बाद वक्त मिला तो माथुर सीधे पहुंचे कबीर पंथ के धर्म गुरु प्रकाश मुनि के पास। यहां माथुर के साथ प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, डॉ रमन, ओपी चौधरी, पवन साय मौजूद रहे। गुरु से आर्शीवाद के साथ बंद कमरे में सियासी चर्चाएं भी होने की बात सामने आई।
सूत्रों की मानें तो ये मुलाकात OBC वर्ग को साधने की कवायद का एक बड़ा कदम है। पिछले चुनावों में OBC समुदाय के वोट ने तख्ता पलट में अहम भूमिका निभाई थी। प्रदेश प्रभारी बनाए जाने के बाद माथुर प्रदेश के किसी धर्म समुदाय के प्रमुख से पहली बार मिले। प्रकाश मुनि को पूजने वाले प्रदेश के ज्यादातर ओबीसी समुदाय के लोग हैं। जाहिर है गुरु के आर्शीवाद को पार्टी चुनावी वरदान के रूप में भी देखेगी। हालांकि कभी गुरू प्रकाश मुनि खुले तौर पर किसी पार्टी का समर्थन या विरोध नहीं करते, मगर चुनावों में इनके प्रभाव को ऐसे समझिए कि अमित शाह भी रायपुर में जब चुनावी दौरे पर आए तो इनका आर्शीवाद लेना नहीं भूले।
बड़े BJP लीडर्स क्यों ले रहे प्रकाश मुनि का आर्शीवाद
भाजपा के नेताओं ने चुनावी तैयारी के बीच गुरु का आर्शीवाद लिया है। अब जानिए कि प्रकाश मुनि का प्रकाश कितने बड़े वर्ग पर फैला है। प्रकाश मुनि कबीर पंथ के इस वक्त सबसे बड़े गुरु हैं। कबीर के विचारों और आदर्शों को मानने वाले इस समुदाय के छत्तीसगढ़ के लाखों परिवार प्रकाश मुनि को भगवान की तरह पूज्य मानते हैं। रायपुर के करीब दामाखेड़ा में कबीर पंथियों की तीर्थ स्थल है। दामाखेड़ा में ही आश्रम में प्रकाश मुनि रहते हैं। दामाखोड़ा को कबीरपंथियों के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
96 लाख लोग कबीर पंथी से जुड़े हैं
दामाखेड़ा में कबीर मठ की स्थापना 1903 में कबीरपंथ के 12वें गुरु अग्रनाम साहब ने की थी। माना जाता है कि देश में कुल 96 लाख लोग कबीर पंथी हैं। सभी प्रकाश मुनि का बेहद आदर करते हैं उनके प्रवचन सुनते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त प्रचार करने आए तबके भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी दामाखेड़ा जाकर प्रकाश मुनि के दर्शन किए थे।
बड़े बदलाव की चर्चा
ओम माथुर की इन बैठकों के बाद प्रदेश की भाजपा में संगठनात्मक और सियासी बदलाव देखने को मिलने वाले हैं। आने वाले दिनों मंे इनका एलान होगा। सरकार को घेरने भाजपा ने कुछ नए आंदोलन तय किए हैं, जून में बड़े प्रदर्शनों के साथ कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया जाएगा। भाजपा के कोर ग्रुप, चुनाव और घोषणा पत्र समिति में भी नेताओं को बदला जाएगा।