भारतीय जनता पार्टी जिला भिलाई का आज प्रेस कॉन्फ्रेंस जिला भाजपा कार्यालय प्रियदर्शनी परिसर भिलाई में आयोजित किया गया था इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री टंकराम वर्मा जी मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, श्री केदार गुप्ता जी प्रदेश प्रवक्ता, जिला अध्यक्ष महेश वर्मा, श्री मुकेश शर्मा जी जिला प्रभारी, श्री दीपक ताराचंद साहू जी उपस्थित थे इस अवसर पर श्री टंकराम वर्मा जी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उनके राजनीतिक प्रशिक्षक सेंट पित्रोदा के संकल्प पत्र में विरासत टैक्स की योजना का निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस आम लोगों को खास तौर से मध्यम वर्ग को प्रभावीत होगा टैक्स मध्यम वर्ग और आकांक्षी लोगों
को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा जो अपने परिश्रम से अपना एक घर बनाते हैं कुछ बचत कर पाते हैं विरासत टैक्स लागू होने पर वे इस संपदा को पुरी तरह से अपने बच्चों को नहीं दे पायेंगे अगर ऐसा होता है तो पिछले 10 वर्षों में भारत में हुई तमाम प्रगति बेकार हो जायेगी देश फिर इस युग में चला जायेगा जब कांग्रेस 90 प्रतिशत टैक्स वसुलती थी ।
विरासत कर की साजिश
कांग्रेस के प्रमुख सलाहकार और राहुल गांधी के राजनीतिक प्रशिक्षक सैम पित्रोदा ने अमेरिका की तरह भारत में भी इन्हेरिटेंस टैक्स लगाने की बात की, पित्रोदा का बयान अचानक और जबान फिसलने के कारण नहीं आया है दरअसल यह एक सोची समझी चाल है।
कांग्रेस पार्टी का संकल्प पत्र जारी करते हुए राहुल गांधी ने हैदराबाद में जो कहा, उसे समझने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट कहा है, कांग्रेस की सरकार बनेगी तो सबकी वित्तीय स्थिति का सर्वेक्षण कराया जायेगा, जिसके आधार पर क्रांतिकारी निर्णय लिए जायेंगे।
पहली बात, लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्रांति की जगह कहां है? देश में क्रांति करने की चाह किन लोगों की है?
दूसरी बात, विरासत टैक्स से सभी वर्ग प्रभावित होंगे पर सबसे अधिक मध्यम वर्ग प्रभावित होगा। यह टैक्स मध्यम वर्ग और उन आकांक्षी लोगों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा जो अपने परिश्रम से अपना एक घर बनाते और कुछ बचत कर पाते हैं। विरासत टैक्स लागू होने पर वे इन संपदा को पूरी तरह से अपने बच्चों को नहीं दे पाएंगे।
अगर ऐसा होता है तो पिछले 10 सालों में भारत में हुई तमाम प्रगति बेकार हो जाएगी। देश फिर से उस युग में चला जाएगा जब कांग्रेस 90 प्रतिशत टैक्स वसूलती थी।
‘विरासत कर’ आखिर है क्या?
विरासत कर को एस्टेट टैक्स (Estate Tax) के नाम से भी जाना जाता है. भारत में साल 1985 तक इसी तरह का कर देखने को मिलता था, जिसमें किसी व्यक्ति की जीवन भर की गाढ़ी कमाई और संपत्ति उसकी मौत के बाद बच्चे को ट्रांसफर होती थी और बच्चे को उस कुल रकम/संपत्ति पर सरकार को टैक्स चुकाना पड़ता था.
उदाहरण के लिए,
मान लीजिए कि सुरेश कुमार नाम के कारोबारी के पास एक करोड़ रुपए की संपत्ति और दौलत है. अचानक उनकी मृत्यु हो जाती है, जिसके बाद यह पूरी रकम उनके बेटी निशा कुमारी के पास चली जाती है. अब निशा कुमारी को इसी कुल रकम और संपत्ति पर सरकार को 50 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा. यानी उन्हें 50 लाख रुपए सरकार को विरासत कर या एस्टेट टैक्स के रूप में देने होंगे और शेष रकम उनके पास ही रहेगी. यही विरासत कर या एस्टेट टैक्स कहलाता है.
1953 में लाया गया था Estate Tax अव्यवहारिक था पूरे भारत में इसका विरोध हो रहा था इसलिए इसे 1985 में खत्म कर दिया गया था. यह साल 1953 में लाया गया था. चूंकि, देश को इससे कुछ साल पहले ही आजादी मिली थी और तब गरीबी थी. आर्थिक तौर पर असमानता थी. सरकार की तब सोच थी कि अमीर लोगों का पैसा अगर उनके बच्चों के पास जाएगा तब समाज में यह असमानता और बढ़ जाएगी. यही वजह थी कि इस कर को एक एक्ट (अधिनियम) के जरिए लाया गया था.
एस्टेट टैक्स तब चल और अचल संपत्ति – दोनों पर ही लगाया जाता था. जानकारी के मुताबिक, भारत में तब जिसके पास 20 लाख रुपए से अधिक की संपत्ति होती थी, उस पर 85 फीसदी यह टैक्स लगता था. अगर किसी के पास तब कम से कम एक लाख रुपए की संपत्तियां हैं, तब इस कर की दर साढ़े सात फीसदी हुआ करती थी. इस तरह से रकम और संपत्तियों के हिसाब से टैक्स की दर भी थी।इस टैक्स को लेकर लोगों के बीच खासा नाराजगी थी और जिस मकसद को ध्यान में रखकर इसे लाया गया था, वह असल में पूरा नहीं हो पा रहा था. 1984-85 में एस्टेट टैक्स केजटिलताओं के चलते खत्म कर दिया था. यह टैक्स तब एक तरह से बड़ी विफलता माना गया था.
अगर इस प्रकार से धन अर्जित करने वालों को सजा दी जाएगी तो पिछले दस सालों में हुई भारत की तरक्की शून्य हो जाएगी। अभी की पीढ़ी को कांग्रेस के उस जमाने की कोई जानकारी नहीं है।
चुनौतियाँ
कई भारतीय व्यवसाय परिवार द्वारा संचालित हैं, इसलिए संपत्ति शुल्क वापस लाने से देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा आ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ भारतीय प्रवर्तक विरासत करों से बचने के लिए अपना निवास स्थान बदलना या अपना व्यवसाय विदेश ले जाना चुन सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ लोगों का तर्क है कि उन संपत्तियों पर विरासत कर लगाना अनुचित है जिसके लिए मृतक पहले ही आय और धन कर का भुगतान कर चुका है, जिसके परिणामस्वरूप अनिवार्य रूप से दोहरा कराधान होता है।
विरासत कर की गणना
विरासत कर की गणना करने के लिए, मृतक की मृत्यु के समय उसके स्वामित्व वाली सभी संपत्तियों के कुल बाजार मूल्य का निर्धारण करके शुरुआत करना ,इस मूल्यांकन में सभी संपत्तियां शामिल करना जैसे कि रियल एस्टेट संपत्तियां, निवेश होल्डिंग्स (स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड इत्यादि), वर्तमान बैंक शेष, वाहन और व्यक्तिगत सामान (आभूषण, कला और अन्य मूल्यवान वस्तुएं)।सभी को जोड़कर लगभग आधा हिस्सा टैक्स लगाकर ले लेगी।
सरल भाषा में बोले तो बाप दादा के पॉच एकड़ ज़मीन को बच्चों को बाँटकर हिस्सा देना चाहेंगे तो ढाई एकड़ से ज़्यादा ज़मीन कांग्रेसी सरकार टैक्स के रुप में ले लेगी।
उपयुक्त जानकारी मिडिया सह प्रभारी ठाकुर रणजीत सिंह ने दी