बता दें कि भारतीय राजनीति के पुरोधा आडवाणी ने सात दशकों से अधिक समय तक अटूट समर्पण और असाधारण कौशल के साथ देश की सेवा की है। वर्ष 1927 में कराची में जन्मे, श्री आडवाणी 1947 में विभाजन की पृष्ठभूमि में भारत चले आए। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अपने दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने पूरे देश में दशकों तक कड़ी मेहनत की और सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में परिवर्तन किया। जब आपातकाल ने भारत के लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया था तब उनके अंदर के अदम्य योद्धा ने इसे अधिनायकवादी प्रवृत्तियों से बचाने में मदद की।
5 विभूतियों को मिला भारत रत्न
साल के शुरुआत में ही भारत रत्न के लिए 5 विभूतियों को चुना गया था। इसमें पूर्व पीएम नरसिम्हा राव, पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, एस स्वामीनाथन अय्यर, बिहार के पूर्व सीएम कर्पुरी ठाकुर और पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी का नाम शामिल था। आडवाणी को छोड़ दें तो बाकी 4 विभूतियों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया है। उनके परिवार की तरफ से यह सम्मान राष्ट्रपति से ग्रहण किया गया। आडवाणी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए पहले ही तय था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें 31 मार्च यानी आज घर जाकर इस सम्मान से सम्मानित करेंगी।